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Tuesday, May 21, 2024

Vishnu Puran | कच्छप अवतार

कूर्म अवतार को कच्छप अवतार (कछुआ अवतार) भी कहते हैं।
कूर्म अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुद्रमंथन के समय मंदर पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नों की प्राप्ति की। इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।
इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी पद्मपुराण (ब्रह्मखड, 8) में वर्णन हैं कि इंद्र ने दुर्वासा द्वारा प्रदत्त पारिजातक माला का अपमान किया तो कुपित होकर दुर्वासा ने शाप दिया, तुम्हारा वैभव नष्ट होगा। परिणामस्वरूप लक्ष्मी समुद्र में लुप्त हो गई। तत्पश्चात्‌ विष्णु के आदेशानुसार देवताओं तथा दैत्यों ने लक्ष्मी को पुन प्राप्त करने के लिए मंदराचल की मथानी तथा वासुकि की डोर बनाकर क्षीरसागर का मंथन किया।
मंथन करते समय मंदराचल रसातल को जाने लगा तो विष्णु ने कच्छप के रूप में अपनी पीठ पर धारण किया और देव-दानवों ने समुद्र से अमृत एवं लक्ष्मी सहित 14 रत्नों की प्राप्ति करके पूर्ववत्‌ वैभव संपादित किया। प भी धारण किया था।

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