27 C
Mumbai
13.1 C
Delhi
19 C
Kolkata
Monday, December 11, 2023

Tenalirama Story | रंग-बिरंगे नाखून

सभी जानते हैं कि राजा कॄष्णदेव राय पशु-पक्षियों से बहुते प्यार करते थे। एक दिन एक बहेलिया राजदरबार में आया। उसके पास पिंजरे में एक सुन्दर व रंगीन विचित्र किस्म का पक्षी था। वह राजा से बोला, “महाराज, इस सुन्दर व विचित्र पक्षी को मैंने कल जंगल से पकडा हैं। यह बहुत मीठा गाता हैं तथा तोते के समान बोल भी सकता हैं। यह मोर के समान रंग-बिरंगा ही नहीं हैं, बाल्कि उसके समान नाच कर भी दिखा सकता हैं। मैं यहॉ यह पक्षी आपको बेचने के लिए आया हूँ।”
राजा ने पक्षी को देखा और बोले, “हॉ, देखने में यह पक्षी बहुत रंग-बिरंगा और विचित्र है। तुम्हें इसके लिए उपयुक्त मूल्य दिया जाएगा।” राजा ने बहेलिए को पचास स्वर्ण मुद्राएँ दीं और उस पक्षी को अपने महल के बगीचे में रखवाने का आदेश दिया। तभी तेनाली राम अपने स्थान से उठा और बोला, “महाराज, मुझे नहीं लगता कि यह पक्षी बरसात में मोर के समान नॄत्य कर सकता है। बल्कि मुझे तो लगता है कि यह पक्षी कई वर्षो से नहाया भी नहीं हैं।” तेनाली राम की बात सुनकर बहेलिया डर गया और् दुःखी स्वर में राजा से बोल, “महाराज, मैं एक निर्धन बहेलिया हूँ। पक्षियों को पकडना और बेचना ही मेरी आजीविका है। अतः मैं समझता हूँ कि पक्षियों के बारे में मेरी जानकारी पर बिना किसी प्रमाण के आरोप लगाना अनुचित है। यदि मैं निर्धन हूँ तो क्या तेनाली जी को मुझे झुठा कहने का अधिकार मिल गया है।”

बहेलिए की यह बात सुन महाराज भी तेनाली राम से अप्रसन्न होते हुए बोले, “तेनाली राम, तुम्हें ऐसा कहना शोभा नहीं देता । क्या तुम अपनी बात सिद्ध कर सकते हो ?” “मैं अपनी बात सिद्ध करना चाहता हूँ, महाराज।” यह कहते हुए तेनाली राम ने एक गिलास पानी पक्षी के पिंजरे में गिरा दिया। पक्षी गीला हो गया और सभी दरबारी पक्षी को आश्चर्य से देखने लगे। पक्षी पर गिरा पानी रंगीन हो गया और उसका रंग हल्का भूरा हो गया। राजा तेनाली राम को आश्चर्य से देखने लगे। तेनाली राम बोला, “महाराज यह कोई विचित्र पक्षी नहीं है,बल्कि जंगली कबूतर है।”

“परन्तु तेनाली राम तुम्हें कैसे पता लगा कि यह पक्षी रंगा गया है?”

“महाराज, बहेलिए के रंगीन नाखूनों से। पक्षी पर लगे रंग तथा उसके नाखूनों का रंग एक समान है।” अपनी पोल खुलते देख बहेलिया भागने का प्रयास करने लगा, परन्तु सैनिकों ने उसे पकड लिया। राजा ने उसे धोखा देने के अपराध में जेल में डाल डिया और् उसे दिया गया पुरस्कार अर्थात पचास स्वर्ण मुद्राएँ तेनाली राम को दे दिया गया।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike

Latest Articles